।। किसानों और प्रशासन के मध्य आपसी विश्वास खत्म हो गया ।।

इटारसी। सभी तरह की खेती जैविक होती है क्योंकि उसमें जीवन होता है। आज की खेती पेट भरने के लिए नहीं बल्कि गोदाम भरने के लिए हो रही है। इसी कारण कृषि की कई समस्याएं उठ रही हैं। हमारे किसानों को जैविक खेती के लिए सरकार को प्रमाण पत्र लेना होता है जो कि एक गलत परम्परा है। इससे किसानों और प्रशासन के मध्य आपसी विश्वास खत्म हो गया है। इसी कारण जैविक खेती का विकास सफल नहीं हो पाया है।
    उक्त विचार प्रसिद्ध पत्रकार संपादक और लेखक सोपान जोशी ने ग्राम रोहना में ग्राम सेवा समिति द्वारा आयोजित एक किसान संगोष्ठी में व्यक्त किए। जोशी ने बताया कि आज आंध्रप्रदेश में 35 लाख हेक्टेयर भूमि पर बिना कीटनाशक और बिना रसायन के जैविक खेती होती है। इन किसानों को सरकार से कोई प्रमाण पत्र नहीं लेना होता है। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता ब्रज गौर और संचालन सुरेश दीवान ने किया प्रारंभ में डॉ केएस उप्पल ने मुख्य वक्ता सोपान जोशी का परिचय दिया। इस अवसर पर लीलाधर राजपूत, संदीप मेहतो, रूप सिंह, राजकुमार लखेरा, उर्मिला दुबे और मैना बाई सहित अनेक पुरूष और महिला किसान उपस्थित थे।

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